Sunday, February 28, 2010

चाहत

इस दुनिया में फुल मुरझा जाते है
पंछियों के मीठे गीतों की उम्र कम होती है
मैं उस वसंत का स्वपन देखती हूँ
जो सदाबहार रहे
इस दुनिया मे होठ मिलते है लेकिन होले से Justify Fullऔर माधुर्य का कोई स्वाद नही बचा रहता
मैं उस चुम्बन का ख्वाब दिखती हूँ
जो हमेशा कायम रहेगा
इस दुनिया मे हर शख्स
दोस्ती या प्रेम के वियोग मे रो रहा है
मैं उस दुनिया का सपना देखती हूँ
जिसमे सब एक साथ रहे

1 comment:

  1. इस दुनिया मे हर शख्स
    दोस्ती या प्रेम के वियोग मे रो रहा है
    मैं उस दुनिया का सपना देखती हूँ
    जिसमे सब एक साथ रहे.

    सुन्दर कविता ,उच्च पक्तियां

    विकास पाण्डेय
    www.विचारो का दर्पण.blogspot.com

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