इस दुनिया में फुल मुरझा जाते है
पंछियों के मीठे गीतों की उम्र कम होती है
मैं उस वसंत का स्वपन देखती हूँ
जो सदाबहार रहे
इस दुनिया मे होठ मिलते है लेकिन होले से और माधुर्य का कोई स्वाद नही बचा रहता
मैं उस चुम्बन का ख्वाब दिखती हूँ
जो हमेशा कायम रहेगा
इस दुनिया मे हर शख्स
दोस्ती या प्रेम के वियोग मे रो रहा है
मैं उस दुनिया का सपना देखती हूँ
जिसमे सब एक साथ रहे
पंछियों के मीठे गीतों की उम्र कम होती है
मैं उस वसंत का स्वपन देखती हूँ
जो सदाबहार रहे
इस दुनिया मे होठ मिलते है लेकिन होले से और माधुर्य का कोई स्वाद नही बचा रहता
मैं उस चुम्बन का ख्वाब दिखती हूँ
जो हमेशा कायम रहेगा
इस दुनिया मे हर शख्स
दोस्ती या प्रेम के वियोग मे रो रहा है
मैं उस दुनिया का सपना देखती हूँ
जिसमे सब एक साथ रहे
इस दुनिया मे हर शख्स
ReplyDeleteदोस्ती या प्रेम के वियोग मे रो रहा है
मैं उस दुनिया का सपना देखती हूँ
जिसमे सब एक साथ रहे.
सुन्दर कविता ,उच्च पक्तियां
विकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com