Monday, February 1, 2010

भागो नही दुनिया को बदलो

सुसभ्य एवम सुसंकृत समाज मे असंतुष्ट व्यक्ति असमाजिक होता है । वह अपनी असंतोषजनित ध्वन्शात्मक गतिविधियौ से अपने समाज सहित समस्त जैविक परिवेश को उतपीरित करता है समाज की रचनाधर्मिता को ध्वस्त करता है ।

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