वैसे तो सभी माँ ममता, करुणा , स्नेह की प्रतिमूर्ति होती है चाहे अमीर हो ,गरीब हो , स्वर्ण हो , दलित हो । पुत्र चाहे कुपुत्र हो जाये , दुर्व्यवहार करे लेकिन माँ कोस कर भी उसे प्यार करती है वह भूल जाती है सारा अपमान उसके सुख समृधि के लिए प्रार्थना करती है उसे दुलार करती है उससे मिलने जाती है। आज के आधुनिक युग मे गरीब से आमिर हुए पुत्रो के साथ परेशानी है उन्हे ग्वार दिखने वाले माँ- बाप के साथ इन्फिरिती कॉम्पेक्स होती है।
लेकिन ये कहानी गरीब घर के गरीब माँ की कहानी है और अमीर घर के अमीर माँ की.---एक गरीब व दलित माँ और दूसरी समृद्ध व स्वर्ण माँ ।
गरीब बेटा इतना भी गरीब नहीं था की अपने घर के जरूरत को पूरा न कर पाए वह अपनी माँ का एक ही बेटा था जिसकी पत्नी रोज उससे किसी न किसी बात पर लरती झ्गरती , मार पिट करती । रोज रोज की चिक चिक देख बेटे को भी अपनी माँ मे ही गलती नजर आने लगी और वह भी उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगा । ये देख गाव मे पचायत लगा और उस बेटे को वृक्ष मे बांध सो कोरे मारने की बात हुई और बूढी को पंचायत के तरफ से सारी सुविधा उपलब्ध कराने का फेसला हुआ । पहले बूढी खुश हुई लेकिन जब उसके बेटे को मारा जाने लगा तो वह उसे पाकर खरी हो गयी और बोली मत मरो मेरे बेटे को बेटा है तब तो मुझे मरता है अगर ये रहता ही नहीं तो प्यार करना तो दूर मारने वाला भी कोइ नहीं रहता । यह देख और सुन सारी पंचायत हतप्रभ रह गयी और वह अपने बेटे को लेकर घर चली आई ।
दूसरी माँ स्वर्ण और अमीर जिसके दो बेटे है बरा बेटा घर का निरंकुश मालिक जो कह दिया तो बस व्ही होना है । कोइ पक्ष नहीं कोइ विपक्ष नहीं । भाई को लरकी पसंद नहीं लेकिन निरंकुशता के सामने नतमस्तक हो ले आया शादी कर। अब उसे सास नहीं पसंद फिर रोज रोज का खटखट फिर माँ बरे बेटे के साथ उस दिन से रह रही है । उसे अपने छोटे बेटे की याद नहीं आती उसकी ममता उसके लिए नहीं जगती वह उसे देखना नहीं चाहती यहाँ तक की छोटे बेटे के बच्चो के शादी ब्याह मे भी नहीं जाती और तो और पोते भी उनसे मिलने नहीं आते । उस माँ की ममता सुख गयी या निरंकुश बेटे के सामने इच्छा जाहिर करते डरती है ।
हमें किसे अच्छी माँ कहना चाहिए ?
Sunday, March 7, 2010
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हमें किसे अच्छी माँ कहना चाहिए ? अपने बहुत अच्छा मां बेटे के बीच चित्रण किया है। बहुत अच्छा लगा, हम आशा करते हैं की आप इसी तरह मां का अनादर करने वालों का पर्दाफाश करते रहेंगे।
ReplyDeleteसुनील पाण्डेय
इलाहाबाद
09953090154
इस सुन्दर चिट्ठे के साथ आपका ब्लॉग जगत में स्वागत .....
ReplyDeleteमाँ अच्छी ही होती है और पापा प्यारे होते है |
ReplyDeleteHar maa achhee hee hoti hai..
ReplyDeleteBlog jagat me aapka swagat hai!
Anek shubhkamnayen!
ReplyDeleteमां की ममता, मां का दुलार,
ReplyDeleteमां से मिलता, बच्चों को प्यार।
मां की क्षमता आंचल का प्यार,
जिससे बनता सारा संसार॥
मां की शक्ति अलग अनोखी,
जो उसके ममता में है होती।
नौ महीने की कोख में लेकर,
हर दुख को हंसकर सह लेती॥
मां देवी का एक अवतार,
जो पाले सारा संसार।
बच्चें जो मां की सेवा करें,
हरा-भरा हो उनका द्घरबार॥
पर मां को जिसने ममी कहां,
समझो जीते जी दपफना वो दिया,
मदर का अर्थ मां होती है,
ममी वो जो ताबूत में सोती है॥
मदर्स डे पर कसम ये लेलो,
मां को हर वक्त मां ही बोलो,
पिफर देखो क्या एहसास जगेगा,
मां की ममता का प्यास बुझेगी।
तुम्हारा जीवन सपफल हो जाएगा,
बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त हो जाएगा।
इस शुरुआत पर तमाम शुभकामनाएं.
ReplyDeleteजारी रहें.
[उल्टा तीर]
आपका हार्दिक स्वगत है,अच्छी पोस्ट .सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteविकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com
आप तो स्वयं एक नारी हैं.. इसलिए क्या उत्तर दूँ आपकी बात का..माँ ना तो सवर्ण होती है ना दलित, अमीर होती है ना ग़रीब, अच्छी होती है ना बुरी... माँ सिर्फ माँ होती है... हमारा पिछला ब्लॉग पढकर देखिये, एक और आयाम दिखाई देगा..
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteआपका हार्दिक स्वगत है,अच्छी पोस्ट .सुन्दर अभिव्यक्ति.
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